सोमवार, 3 मार्च 2014

भष्टाचार





                     भष्टाचार दोस्तों में आज बहुत दिन बाद में फिर लिखने की सोच रहा हूँ समझ में नहीं आ रहा है | की क्या लिखो बहुत सोचने बाद भी में ऐसा कोई विषय नहीं ढूँढ पाया जिस पर कुछ न लिखा हो आप लोगो ने बहुत सोचने के बाद मुझे लिखने के लिए भष्टाचार से बड़ा कोई मुद्दा नहीं मिला आजकल हमें हर रोज, हर जगह, हर समय, भष्टाचार के बारे में नई - नई जानकारिया मिलती रहती है ! और भष्टाचार के नये - नये कीर्तिमान स्थापित होते रहते है ! आज हमारे देश का कोई भी ऐसा राज्य नहीं है ! जिसने भष्टाचार का रिकॉड न बनाया हो आज हमारे देश में भष्टाचारियों की संख्या को देखकर को ऐसा लगता है | हम भष्टाचारियों के खिलाफ आवाज उठा रहे है | या भष्टाचार को और अधिक शक्तिशाली बनाने में योगदान कर रहे है | अन्ना जी आन्दोलन की शुरुवात को देख कर तो ऐसा लगा था की आम आदमी भष्टाचार से परेशान है | पर यह सच नहीं है . आज भष्टाचार ने हमारे जीवन व हमारी जरूरतों में इतनी गहरी पैठ बना ली है ! ] आज हमें भष्टाचार सिर्फ हमारी जरूरत व हमारी आवश्यकता पूरी न होने में दिखाई देता है | आज भष्टाचार को बड़ावा देने में आपने योगदान को हम नहीं भूल सकते है | हम सभी आपने कार्यो को जल्दी करवाना चाहते है | हमारे समय नहीं होता है | आपनी फ़ाइल को आगे बड़ाने की लिए हम दबाब व भष्टाचार का सहारा लेते है | अगर हम ईमानदारी से अपना कार्य करवाना चाहते है | तो हमें काफी इंतजार करना पड़ता है | कभी - कभी तो हमें उस कार्य की लिए जीवन भर इंतजार करना पड़ता है | इन सब से बचने का एक मात्र सरल और सुलभ रास्ता जो हमें नजर आता है | वह है भष्टाचार आज हमें बार - बार यह कहा जाता है | आप भष्टाचार को बरदास्त मत करो जब हमारा देश व हमारी संसद भष्टाचारियों को बरदास्त कर रही है | तो हम क्यु न करे आखिर वह भी तो इन्सान है | व बात अलग है | की उन्होंने अपना इमान व आपने जमीर को मार दिया है | और अब भष्टाचार करके औरो को मार रहे है | भष्टाचार से लड़ना तो हर कोई चाहता है | मगर सिर्फ दुसरो द्वारा किया गया भष्टाचार ही हमको दिखाई देता है | सच तो यह है | भष्टाचारी दानव आज हमारे देश व् समाज निगल चूका है | भष्टाचार से छुटकारा पाना इतना आसान नहीं है | देश के हालात आज भष्टाचारियों के साथ है | आज इमानदार आदमी जीने के लिए भष्टाचार से जूझ रहा है | भष्टाचार है कि पीछा ही नहीं छोड़ता | मुझे नहीं लगता कि ऐसे हालात में हम भष्टाचार रूपी दानव से छुटकारा पा सकेगे हमें इस के लिए बलिदान भी देना पद सकता है | यह लड़ाई आजादी कि लड़ाई से भी बड़ी है | आजादी कि लड़ाई में हमारे दुश्मन विदेशी थे | इस लड़ाई में हमारे अपने ही लोग हमारे दुश्मन बन गए है | हमें इस लड़ाई में बिना कुछ खोये भष्टाचार से छुटकारा पाना है | भारत से भष्टाचार रूपी दानव को भगाना है | इस लिए तैयार हो जाओं आजादी से बड़ी लड़ाई के लिए आपने योदान से इस लड़ाई में चुक न जाना फिर न कहना हमें मोका नहीं मिला नहीं तो हम भी कुछ करते आज और अभी मोका देखकर मार दो चोका, भष्टाचार से अगर आपको कोई छुटकारा दिला सकता है | वह खुद आप ही हो जैसे हमें अपने जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए खुद ही सारे प्रयत्न करने पड़ते है |किसी और के प्रयत्न करने से हमें सफलता नहीं मिलती है | जिस पर हिन्दी में एक सुन्दर सा मुहावरा भी लिखा गया है बिना अपने मरे स्वर्ग नहीं मिलाता अथात बिना अपने किये कोई भी कार्य नहीं होता है | इसी प्रकार अगर आप भष्टाचार रूपी दानव से छुटकारा पाना चाहते है | तो आपको इसकी शुरुवात अपने घर, परिवार .समुदाय , मुहल्ले, वह गाव और शहर  से करनी होगी , लेकिन सबसे बड़ी समस्या यह है की हमें दूसरों के द्वारा किया जा रहा भष्टाचार तो दिखाई देता है | लेकिन खुद के द्वारा किया गया भष्टाचार नहीं दिखाई देता है | दोस्तों जिस प्रकार चोरी एक 1 रूपये की हो या 1 लाख की हुई तो वह चोरी ही ,है मगर हम लोग इस बात को स्वीकार नहीं करते है | इसलिए दोस्तों सुनों सब की करो वही जो सही हो, भष्टाचार से छुटकारा आपको कोई नेता नहीं दिला सकता है | क्युकी भष्टाचार की शुरूवात नेताओ ने की थी | आज भष्टाचार नेताओं की रग-रग बस चूका है | आज भष्टाचार के नाम पर बहुत सी पाटियां , वह नेता जनता को वेवकूफ बना कर सिर्फ आपना उल्लू सीधा करना चाहतें है | वे जनता की कमजोरी को जानते है | उसी का लालच देकर जनता का वोट पाना है | इसलिए भष्टाचार को भगाने के लिए एक आन्दोलन करना होगा जिसका नेतत्व किसी नेता को नहीं खुद जनता को करना होगा | इसी के साथ वन्दे मातरम इमानदार भारतीयों के लिये जय हिंन्द जय भारत