सोमवार, 3 मार्च 2014

पहला प्यार





बात उस समय की है | जब में करीब १४-15 साल का था | दीन दुनिया से अनजान वह में इसलिए कह रहा हूँ | कुयुकी में अपने आप में मस्त रहने वालों में था | मेरे दोस्त भी बहुत कम थे|अक्सर मुझे मतलबी दोस्त बहुत मिलते थे | जो कुछ् मतलब के लिए मुझ से दोस्ती करते फिर मतलब निकलने के बाद मिलना भी छोड़ देते है | शायद कभी आपका सामना भी कभी एसे लोगो से हुआ होगा | अगर नहीं हुआ हो तो भगवान करें आप लोगो को एसे लोग कभी न मिले , इन सब बातो का मेरे जीवन में काफी बुरा प्रभाव पड़ा. अब में अन्य लोगों से दूर भागने लगा मेरी दुनिया मुझ से शुरू होती और मुझ में ही ख़त्म हो जाती | में चुप सा रहने लगा था |
कोई मुझ से दोस्ती करने की कोशिस भी करता तो में उससे बचने की कोशिश करने लगता | मेरी इन हरकतों के कारण मेरे बचे हुए दोस्त भी मुझसे भागने लगते थे | लेकिन कहते है | आदमी की जिन्दगी हर समय एक सा नहीं रहता है | मेरे साथ भी कुछ एसा ही हुआ | एक दिन में आपने छोटी दुकान पी सी ओ में बैठा ग्राहक का इंतजार कर रहा था | तभी दरवाजा खुला और सामने एक लड़की थी | वह बड़े प्यार से बोली क्या फोन इस्तेमाल कर सकती हू मेने कहा हां बिलकुल बाकि मेरे जुबान में ही दबकर रह गया | में कभी किसी लड़की को सीधे मुह नहीं देखता था | पर न जाने आज मुझे क्या हो गया था | में कुछ समझ नहीं पाया था | में उसको को घूरता रहा काफी देर तक वह फोन लगाते रही शायद उसका फोन बीजी था |
काफी देर में उसका फोन लगा वह मुस्करा कर बात कर रही थी | में उसकों देखा कर मुस्करा रहा था | तभी उसने मुझसे से मेरा फोन नंबर माँगा मैंने चोकते हुए क्या चाहिए आपको उसने फिर दोहाया फोन नंबर मुझे फिर भी नही सुनाई दिया | अब झलाकर बोली इस फोन का नंबर क्या है | मेने उसे अपना नंबर बताया उसने नम्बर फोन पर किसी को बताया और फोन कहा हा कोई बात नही आप इंतजार कर सकती है |
तभी घंटी बजी उसने फोन उठाया और वह मुस्कराते हुए बात करने लगी और हम भी उसकों मुस्कराते देख कर खुशी से फुले नहीं समां रहे थे | तभी हमारी खुशियों में बज्रपात हो गया | उसने फोन के रिसीवर पर हाथ रखा और बड़े प्यार बोली भय्या क्या आप 5 मिनट के लिए बाहर जा सकते है | हम टूटे हुए दिल से बाहर आ गए हम उसे सीसे देखते रहे वह मुस्करा मुस्करा कर बात करती रही और दिल को तोड़ती रही जैसे कसाई बकरे को धीरे धीरे हलाल करता है उसी तरह मेरा दिल भी टूट कर रोने लगा |
में भगवान से मन ही मन कहने लगा अगर उस लड़की के दिल मेरे लिए थोडा सा प्यार न था | तो मुझ पत्थर दिल में आपने प्यार अनुभूति क्यों जगाई आज पहले भी कितनी लडकिया आई पर मेंने कभी किसी को न देखा आज पहली बार किसी लड़की के लिए मेरा दी मचला वह भी मेरी न हो पाई कितने ही खवाब देख डाले उसको देखकर मगर में उसके खवाब में न आ सका में आज समझ न पाया उसे प्यार कहो या आकर्षण |

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